सिमलीपाल नेशनल पार्क उड़ीसा राज्य के मरूरभंज क्षेत्र में अवस्थित एक सुंदर नेशनल पार्क है। Interesting Facts About Similipal National Park: सिमलीपाल कभी मरूरभंज के पूर्व शासकों के लिए शिकार मैदान था। इस क्षेत्र को आज भारत के सबसे बड़े वन्यजीव अभयारण्य का श्रेय दिया जाता है इसे भारत के टाइगर प्रोजेक्टों में से एक माना जाता है।
सिमलीपाल नाम, रेशमी कपास के पेड़, जिसे स्थानीय भाषा में सिमुल कहा जाता है, से व्युत्पन्न हुआ हैं। सिमलीपाल का क्षेत्र घने जंगलों, घास के मैदानों, मनोरम झरनों और नदियों से समृद्ध है।
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Interesting Facts About Similipal National Park
घने जंगलों से निकलने वाली ठंडी हवा, पक्षियों की चाहत की आवाज, पहाड़ियों से गिरती सफेद झरनों और घाँस के मैदान में टहलते वन्यजीवों आप को मोहित कर देंगे। सिमलीपाल नेशनल पार्क नवंबर से मध्य जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। सिमलीपाल के हरे भरे वातावरण को वन शिविर के लिए भी उत्तम माना जाता है।
सिमलीपालको हाथी रिजर्व के रूप में भी जाना जाता है। यहां के स्थानीय संथाल आदिवासी बस्तिया वनस्पतियों में निर्भर है। सिमलीपाल नेशनल पार्क 2,750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पूरा सिमलीपाल क्षेत्र लहरदार है जो 600 मीटर से 1,500 मीटर तक में फैला हुआ है।
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सिमलीपाल की ऊंची पहाड़ियां, नेशनल पार्क की सबसे ऊंची चोटी मेघासानी को घेरती है। गर्मियों के मौसम में यहां के पारा 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और सर्दियों के मौसम में यहां के तापमान 14 डिग्री सेल्सियस में गिर जाती है। इस क्षेत्र में औसत बारिश होती है।
सिमलीपाल नेशनल पार्क की इतिहास
मूल रूप से मरूरभंज के शासकों के लिए शिकार का मैदान होने के कारण, सिमलीपाल को वर्ष 1956 में टाइगर रिजर्व और मई 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर का अनिवार्य हिस्सा नामित किया गया। यह वही रिजर्व है जहां मगर क्रोकोडाइल स्कीम ( mugger crocodile scheme ) शुरू किया गया था और इसके परिणामस्वरूप, उसी वर्ष ओडिशा सरकार ने 2,200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करके सिमलीपाल वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी घोषित किया।
बाद में 845.70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सिमलीपाल के साथ जोड़ा गया और 1994 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। सिमलीपाल नेशनल पार्क को 2009 मई में यूनेस्को ने इस नेशनल पार्क को बायोस्फीयर रिजर्व की अपनी सूची में शामिल कर लिया। लेकिन दुर्भाग्यवश यह भारत के 15 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक होने के बावजूद भी अभी तक पूर्ण नेशनल पार्क के रूप में घोषित नहीं किया जा सका है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसके अंदर बसे हुए 61 गांवों में रहने वाले लगभग 10,000 आबादी जो सिमलीपाल के विकास में मानवीय हस्तक्षेप लाती है। आज सिमलीपाल नेशनल पार्क 2,750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर फैला हुआ है।
सिमलीपाल नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वन्यजीव
उचित संरक्षण और बेहतर आवास के कारण सिमलीपाल नेशनल पार्क वन्यजीवों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। किस नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वन्यजीव इस प्रकार है :
- बाघ
- तेंदुआ
- गौर
- हाथी
- लंगूर
- भोकने वाला हिरण
- चित्तीदार हिरण
- स्लोथ
- नेवले
- उड़ने वाली गिलहरी
- साही
- कछुआ
- मॉनिटर छिपकली
- अजगर
- सांभर
- पैंगोलिन
- चार सिंह वाला हिरण
- मगरमच्छ
सिमलीपाल नेशनल पार्क में लगभग 230 प्रजातियों से अधिक पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है। जैसे कि :
- ग्रे हॉर्नबिल
- इंडियन पाइड हॉर्नबिल
- मालाबार पाइड हॉर्नबिल
- इंडियन ट्रोगन
- रेड जंगल फाउल
- हिल मैना
- मोर
- अलेक्जेंड्रिन पैरकेट
- क्रेस्टेड सरपेंट ईगल
सिमलीपाल नेशनल पार्क में पाए जाने वाले वनस्पतियां
सिमलीपाल नेशनल पार्क में 102 से अधिक प्रकार की पौधों के साथ-साथ 1,076 से अधिक प्रजातियों के विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां पाई जाती है। उष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले जंगल और उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती बन के साथ-साथ शुष्क पर्णपाती पहाड़ी वन और उच्च स्तर के साल वन है ।
बड़े-बड़े घास के मैदान सवाना शाकाहारीयों लिए चरागाह और मांसाहारीयों के लिए छिपने की जगह बनाती है। यह स्थानीय आदिवासी लोगों के लिए कमाई का एक स्रोत हैं। इस नेशनल पार्क से आदिवासी लोग औषधीय गुणों वाले जड़ी बूटी और सुगंधित पौधे संकलन करते हैं।
सिमलीपाल नेशनल पार्क में आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं
यह कर सकते हैं:
- सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में प्रवेश करने के लिए परमिट आवश्यक है, इसलिए कृपया परमिट प्राप्त करने के बाद ही पार्क में प्रवेश करें
- पर्यटकों को पार्क में प्रवेश करते समय एक कूड़े की थैली ले जाने की आवश्यकता होती है, कोई भी गैर- बायोडिग्रेडेबल कचरे जेसी प्लास्टिक, शीशे का बोतल, किसी भी प्रकार के धातु, पन्नी या टिन के डिब्बे पार्क के अंदर छोड़ना मना है।
- प्रवेश करने से पहले आपको आधिकारिक पंजीकृत मार्गदर्शिका प्राप्त करना होगा जो आपको वन्यजीवों को देखने में मदद करेगी और सुनिश्चित करेगी कि आप जंगल में अपना रास्ता न भटके।
- जंगली जानवर पार्क की वास्तविक संपत्ति है, उनका सम्मान करें और उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
- अपनी किसी भी प्रकार के ध्वनि उपकरण के बजाय जंगल का मधुर संगीत सुनें।
- प्राकृतिक परिवेश से मेल खाती कपड़े, या रंग जैसे खाकी के कपड़े, जैतून हरा या कुछ ऐसे रंगों का कपड़ा इस्तेमाल करें जो जंगलों के रंगों के साथ मिले।
- उपयोग ना होने पर, लाइट, पंखे और पानी के नल बंद कर दे।
- टाइगर रिजर्व के भीतर अपना निवास स्थान छोड़ने से पहले निकासी प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
- पर्यटन क्षेत्र के होटल या लॉज में प्रति कमरा अधिकतम दो व्यस्क और दो बच्चे ( 12 वर्ष से कम ) को रहने की अनुमति है, इसलिए यात्रा करने से पहले कमरों की बुकिंग की व्यवस्था जरूर करें।
- सिमलीपाल टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बहन धीरे से चलाएं।
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में यह न करें
- टाइगर रिजर्व के भीतर किसी भी व्यक्ति को धूम्रपान करना और आग लगाना वर्जित है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर सूर्यास्त के बाद ड्राइविंग करना शख्त वर्जित है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर खाना बनाने की अनुमति नहीं है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर किसी भी प्रकार के ट्रांजिस्टर और टेप रिकॉर्ड बजाना सख्त वर्जित है।
- अपने बहनों को निर्धारित मार्गो से दूर ना ले जाए, जिससे पौधे या जानवरों को नुकसान हो।
- रिजर्व क्षेत्र के अंदर हॉर्न न बजाएं, और गति सीमा से ऊपर वाहन ना चलाएं।
- अनुमति प्राप्त क्षेत्र का ध्यान रखें, क्योंकि प्रतिबंधित क्षेत्र में आगंतुकों का प्रवेश प्रतिबंधित है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर, चिल्लाना या जानवरों को खिलाने का प्रयास निषेध है, इसके लिए गंभीर दंड का प्रावधान है।
- सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के भीतर मांसाहारी भोजन सख्त वर्जित है।
- सूर्यास्त के बाद नेशनल पार्क में प्रवेश करना वर्जित है।
- नेशनल पार्क के लिए आपका परमिट ओ हस्तांतरणीय है, इसीलिए किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों का प्रयास ना करें।
सिमलीपाल नेशनल पार्क के आसपास के आकर्षक पर्यटक स्थल
जोरंडा फॉल्स
जोरंडा फॉल्स – सिमलीपाल नेशनल पार्क क्षेत्र में सबसे आकर्षक पर्यटकिय स्थल है। जोरंडा फॉल्स सिमलीपाल नेशनल पार्क के मुख्य क्षेत्र में स्थित है। इसके चारों ओर घने जंगल हैं। यह प्रकृति के मनोरम दृश्य को निहारने का आकर्षक स्थल और पर्यटकों के लिए एक बेहद ही खास पिकनिक स्पॉट हैं। 150 मीटर की ऊंचाई से गिरती हुई झरनों के नीचे स्नान करना आपके लिए बेहद ही अनोखा अनुभव होगा।
बरहीपानी फॉल्स :
सिमलीपाल नेशनल पार्क क्षेत्र में जो सबसे शानदार झरना में से एक है। सिमलीपाल के शानदार जंगल की पृष्ठभूमि में स्थित इस झरना के नीचे स्नान करने के लिए पर्यटक लालायित होते हैं। बरहीपानी झरना एक अद्भुत जगह है। अस्त-व्यस्त शहरी जीवन में, यहां की सुंदरता के साथ ताजगी लाना एक अलग ही अनुभव होता हैं।
ट्रैकिंग
सिमलीपाल नेशनल पार्क में, न केवल दर्शनीय स्थल, वन्यजीवों अवलोकन बल्कि इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जो पर्यटकों को भरपूर मनोरंजन करते हैं। सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के कठिन घने जंगल इलाके में ट्रैकिंग करना एक अलग ही अनुभव देता है। इस लहरदार पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ स्थान में, साहसी पर्यटकों के लिए लंबी पैदल यात्रा और कठिन ट्रैकिंग एक आकर्षण है। कैंपिंग सर्विसेज इस क्षेत्र में ब्रेकिंग करने वाले पर्यटकों के लिए आवश्यक व्यवस्था करते हैं और ट्रैकिंग को और भी रोचक बनाने के लिए अनुभवी गाइड ट्रैकर्स को तथ्यात्मक जानकारी और ट्रैकिंग के दौरान आने वाले खतरों के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें सहायता करते हैं।
स्थानीय आदिवासी समाज के जीवन को नजदीक से जानना
उड़ीसा के आदिवासी समाज के जीवन और संस्कृति को सीखने और जानने के लिए सिमलीपाल क्षेत्र एक आदर्श स्थान है। पर्यटक स्थानीय बाशिंदा के साथ बातचीत कर सकते हैं और स्थानीय रीति रिवाज और उत्सवों में भाग ले सकते हैं।
कुलियाना
सिमलीपाल क्षेत्र से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां के पूर्व-ऐतिहासिक युग और रहन-सहन के बारें में जानने के लिए दूर-दूर से आगंतुका आते हैं। पुरातात्विक में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह क्षेत्र बेहद खास है।
हरिपुर
1400 ईस्वी में महाराजा हरिहर भांज द्वारा स्थापित, यह सिमलीपाल क्षेत्र के आसपास घूमने के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है। हरिपुर क्षेत्र को मयूरभंज राज्य की राजधानी माना जाता था। रसिकराय मंदिर इस क्षेत्र की सुंदरता और भी बढ़ाती है। इसके अलावा, आयतकार आकार के राधा मोहन मंदिर, और जगन्नाथ मंदिर में गोढ़िया शैली की वास्तुकला किस स्थान को और भी विशेष बनाता है।
सिमलीपाल नेशनल पार्क सफारी
सिमलीपाल नेशनल पार्क सफारी में जाने के लिए, जंगल प्राधिकरण द्वारा 4 जीप उपलब्ध है। पार्क खुलने का समय 1 अक्टूबर से 15 जून तक है।
सिमलीपाल नेशनल पार्क कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से: सिमलीपाल के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर ( 270 किलोमीटर ) के दुरी पर स्थित हैं। और कोलकाता ( 240 किलोमीटर ) कि दुरी पर स्थित हैं। हालांकि, कोलकाता से सीधे ड्राइविंग करना बेहतर है, क्योंकि हवाई अड्डा में वेटिंग और बोर्डिंग के झंझटों से मुक्त हैं।
रेल मार्ग : सिमलीपाल से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बालासोर हैं। जो दक्षिण पूर्वी सेक्टर पर चलने वाली प्रमुख ट्रेनों से सीधे जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग : सिमलीपाल नेशनल पार्क तक पहुंचने के लिए सबसे सुलभ बिंदु है भुवनेश्वर जो 270 किलोमीटर दूर, और कोलकाता 240 किलोमीटर दूर, बालासोर से 55 किलोमीटर दूर और पीठाबाता से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर है। सिमलीपाल नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार बारीपदा को मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में भी माना जाता है, जो मयूरभंज जिला का केंद्र बिंदु भी है। यह NH6 और 5 के जंक्शन पर स्थित है। यहां से सिमलीपाल नेशनल पार्क पहुंचने के लिए आसानी से टैक्सी या कैब मिल जाता है।
सिमलीपाल में होटल
भारत में मंदिरों की भूमि कहे जाने वाले, उड़ीसा भव्य प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है। उड़ीसा पर्यटन में कई जंगल लॉज और गेस्ट हाउस है, जिन्हें भरपूर सेवाओं के साथ तैयार किया गया है। जहां पर आप नेशनल पार्क की यात्रा के दौरान सहज तरीका से आश्रय ले सकते हैं।
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FAQ:
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी कितनी है?
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी 94 हैं। बाघ, मुख्य तया टाइगर रिजर्व के दक्षिणी भाग में पाए जाते हैं
क्या काला बाघ भी होता है?
काले बाघ, बाघों की कोई अलग प्रजाति या कोई उप जाती नहीं है। वे बंगाल टाइगर का एक अलग रंग रूप है, और उनका पूरा काला रंग एक मेलानिस्टिक रंग द्रव्य के कारण होता है।
सिमलीपाल नेशनल पार्क के बारे मे अच्छी जानकारी दी आपने….
कमेंट के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद! सदैव हमारा यही कोशिश है कि सत्य तथ्य और महत्वपूर्ण जानकारी आप लोगों को प्रदान कर सकूं।
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Nice article sir, सिमलीपाल नेशनल पार्क के बारे में रोचक बातें जानने को मिली है।