पलामू टाइगर रिजर्व, झारखंड राज्य में लातेहार जिले के पश्चिमी हिस्से में छोटानागपुर पठार पर स्थित है। Interesting Facts About Palamu Tiger Reserve:
यह टाइगर रिजर्व दक्षिण में नेतरहाट वन जंगल, उत्तर में औरंगा नदी, पूर्व में लातेहार वन प्रभाग और पश्चिम में गढ़वा वन प्रभाग और छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से घिरा हुआ है।
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Interesting Facts About Palamu Tiger Reserve
पलामू टाइगर रिजर्व, अपनी जैव-विविधता के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है। इस टाइगर रिजर्व में मुख्य रूप से साल वन, पर्णपाती वन और बांस के पेड़ अधिक पाए जाते हैं। आरक्षित क्षेत्र 3 महत्वपूर्ण नदियों कोयल, बुरहा और औरंगा नदी से घिरा हुआ हैं।
स्थापना | 1973 |
कुल क्षेत्रफल | 1306.79 वर्ग किलोमीटर |
टाइगर रिजर्व क्षेत्र | 1129.93 वर्ग किलोमीटर |
पलामू वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र | 979.27 वर्ग किलोमीटर |
बेतला नेशनल पार्क क्षेत्र | 226.32 वर्ग किलोमीटर |
प्रोजेक्ट टाइगर, पलामू डिवीजन, बफर क्षेत्र | 730.82 वर्ग किलोमीटर |
प्रोजेक्ट टाइगर, पलामू डिवीजन, कोर क्षेत्र | 575.90 वर्ग किलोमीटर |
ऊंचाई | 300 मीटर से 1140 मीटर तक |
औसत वार्षिक वर्षा | 1036 मिमी |
तापमान | न्यूनतम 1° डिग्री सेल्सियस / अधिकतम 50° डिग्री सेल्सियस |
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इस क्षेत्र के वनों का वैज्ञानिक प्रबंधन 1864 मैं शुरू हुआ था और वर्षों से बड़े वन क्षेत्रों को आरक्षित वन, संरक्षित वन, वन्यजीव अभयारण्य और नेशनल पार्क के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह टाइगर रिजर्व 1,129.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें 414.08 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कोर क्षेत्र हैं जो बाघों का निवास स्थान है, और 715.85 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बफर क्षेत्र है।
कुल क्षेत्रफल में से 226.32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बेतला नेशनल पार्क के रूप में नामित किया गया है। बफर क्षेत्र में 53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निर्देशक, पलामू टाइगर रिजर्व के प्रशासनिक नियंत्रण में है। जिसके तहत कोर एरिया और बफर एरिया फॉरेस्ट डिविजन के लिए दो-दो संभागीय वन अधिकारी है।
पलामू टाइगर रिजर्व का स्थापना 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत किया गया था। यह प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत में देश में बनाए गए पहले 9 टाइगर रिजर्व में से एक है। पलामू टाइगर रिजर्व को दुनिया का पहला अभयारण्य होने का गौरव प्राप्त है, जो 1932 की शुरुआत में तत्कालीन DFO J. W. Nicholson के पर्यवेक्षण में किया गया था।
तत्कालीन समय में कोर एरिया, वन विभाग का महत्वपूर्ण बांस और लकड़ी निष्कर्षण क्षेत्र था। वर्तमान में इस क्षेत्र में चराई, लकड़ी और किसी भी प्रकार के NTFP संग्रह में पाबंदी लगा दी गई है। उत्कृष्ट अग्नि प्रबंधन, मिट्टी और नमी संरक्षण उपायों को अपनाया गया है। कोर क्षेत्र में वन्यजीव प्रबंधन प्रथाओं को शुरुआत किया गया है। पर्वतारोहण क्षेत्र को बंद कर के घास के मैदान बनाए गए हैं। स्थानीय समुदाय की मदद से वाटर होल प्रबंधन, कृत्रिम नमक मिट्टी के ब्लॉक, प्रावधान और बेहद सख्त अवैध शिकार नीति नियम के परिणाम स्वरूप वन्यजीवों के आवास और संख्या में सुधार आया है।
पलामू टाइगर रिजर्व का इतिहास
पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना कब की गई थी जब भारत अपने देश की लुप्तप्राय वन्यजीवों को बताने के लिए वर्ष 1973 में प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कर रहा था। इस टाइगर रिजर्व का स्थापना का उद्देश्य, लुप्त प्राय बाघों की प्रजातियों के साथ-साथ अन्य जंगली प्रजातियों को संरक्षण करना और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत उनकी देखभाल करना था।
पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना के 1 साल पहले, इन वनों का प्रबंधन अत्यधिक व्यवसायिक था, वन क्षेत्र के भीतर चरण के लिए खुला था और क्षेत्र में ही मवेशियों के आवास स्थान बनाया गया था। अवैध शिकार की अनियंत्रित गतिविधियों से हर साल पूरा वन क्षेत्र आग से तबाह हो जाता था। लेकिन वर्तमान समय में, इस टाइगर रिजर्व का वर्तमान क्षेत्र 1947 में भारतीय वन अधिनियम, के तहत आरक्षित वन के रूप में विधिवत रूप से गठित है।
पलामू टाइगर रिजर्व जैव विविधता
पलामू टाइगर रिजर्व के तहत वनों में वनस्पतियों के साथ-साथ वन्यजीवों को पिछले 40 साल में संरक्षित और सुरक्षित किया गया है। इस टाइगर रिजर्व में 970 से अधिक प्रजातियों के पौधों, 17 प्रजातियों के घास और 56 से अधिक प्रकार की औषधीय पौधों की पहचान की गई है।
वन्यजीवों में सर 40 से अधिक प्रकार की स्तनधारी और 174 से अधिक प्रजातियों की पक्षी की पहचान की गई है। पलामू टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले मुख्य जीव इस प्रकार है :
- बाघ
- हाथी
- तेंदुआ
- भेड़िया
- गौर
- सुस्त भालू
- चार सिंँग वाले मृग
- भारतीय रैटल
- भारतीय उद्बिलाव
- भारतीय पैंगोलिन
पलामू टाइगर रिजर्व भूविज्ञान और चट्टान
पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पाए जाने वाले चट्टाने के समूह को वन वर्णनात्मक उद्देश्य के लिए निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता हैं।
- Laterite – high level laterite and Bauxite
- Quartzite – Quartzite, microcline, epidosite, biotite, schist, diopsidite, pegmatite, biotitehillimanite-schist
- Gneiss – Haorneblende, granulite, horneblende-schist, Diopsidite, biotite gneiss, microcline और quartzaplite
- Horneblende – biodite gneiss Magnetite, tufa, olivine, epidosite, और pegmatite
- Amphibolite – Amphibolite, Pyroxene granulite, hypersthena gneiss, horneblende granulite और quartz
- Gondwana – Barakar और Mahadeva Sandstones, grits, shales, horneblende, conglomerate
- जालोढ़ – जालोढ़ निक्षेपों में गाद, रेत, मिटी और बजरी और कॉर्बोनिक पदार्थ होते हैं।
पलामू टाइगर रिजर्व भू-भाग
पलामू टाइगर रिजर्व के भू-भाग कोई पहाड़ियों और घाटियों के साथ लहरदार है। इससे रिजर्व क्षेत्र में कई छोटे और बड़े स्तर की धाराएं बनती है। यह टाइगर रिजर्व समुद्र तल से 200 मीटर से 1700 मीटर उचाईयों के बीच स्थित है।
पलामू टाइगर रिजर्व वर्षा, नदियां और धाराएं
पलामू टाइगर रिजर्व वर्षा-छाया प्रभाव के कारण सुखा प्रणब क्षेत्र है। अधिकांश बरसा दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्राप्त होती है। औसत वार्षिक वर्षा 1075 मिमी होती हैं। वर्षा उत्तरी भागों की तुलना में दक्षिणी भागों में अधिक होता है। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में दो बारहमासी नदियां है – उत्तरी कोयल और बुरहा और कई गैर-बारहमासी नदियां, धाराएं और नाले भी है, जैसे की औरंगा, सतनादिया, पंचनादिया, कोहबरवा, अक्सी, पंद्रा, सुरकुमी, कोटम, चिपरू, जवा और चारू। इस क्षेत्र में कई जलभृत भी मौजूद हैं, जिसे स्थानीय रूप से ‘चुआन‘ कहते हैं। बरवाडीह के पास एक सल्फर हॉट स्प्रिंग भी मौजूद है।
पलामू टाइगर रिजर्व की भूमि
झारखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (JSAC ) से मिली जानकारी के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व के बनावट और संरचना में निम्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है:
- Loamy, Lithic Haplustalfas / Fine Typic Plaeustalfas;36
- Fine, Typic Paleustalfas / Fine-loamy, UlticHaplustalfas;78
- Fine-loamy, Typic Ustochrepts / Fine-loamy, Typic Haplustalfas;39
- Loamy-Skeletal, Lithic Ustorthents / Fine-loamy, Ultic Haplustalfas;15
- Fine, Typic Haplustalfas / Fine-loamy, Typic Ustrochrepts;24
- Loamy, Lithic Ustorthents / Fine, Typic Rhodustalfas ;22
- Fine, TyipicPaleustalfas / Fine, Typic Rhodustalfas;22
- Coarse-loamy, Typic Ustrothents / Fine, Rhodic Paleustalfas;21
- Fine, Typic Rhodustalfas / Fine-loamy, Typic Ustrothents;41
पलामू टाइगर रिज़र्व की जलवायु
पलामू टाइगर रिजर्व में, जलवायु आमतौर पर उष्णकटिबंधीय मानसूनी प्रकार की होती है जिसमें चार अलग-अलग मौसम होते हैं।
- मध्य नवंबर से मध्य फरवरी तक – सर्दियों की मौसम
- मध्य फरवरी से मध्य जून तक – गर्मी का मौसम
- मध्य जून से मध्य सितंबर तक – बारिश की मौसम
- मध्य सितंबर से मध्य नवंबर तक – शरद ऋतु
पलामू टाइगर रिजर्व में,सर्दियों के दौरान तापमान 4° डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। गर्मियों का मौसम में यह क्षेत्र बहुत गर्म और शुष्क होता है और कभी-कभी उत्तरी भाग में तापमान 45.5° डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। दक्षिणी क्षेत्र, अधिक ऊंचाई पर और घने वन कवर के साथ, गर्मियों के मौसम तुलनात्मक रूप में मध्यम रहता है।
पलामू टाइगर रिजर्व के पास पर्यटक आकर्षण
बेतला नेशनल पार्क: रांची-डाल्टनगंज रोड पर स्थित बेतला नेशनल पार्क जंगलों, घाटियों और पहाड़ियों से भरा हुआ है। यह नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के सरीसृपों के साथ-साथ लगभग 39 से अधिक प्रजातियों की स्तनधारी, 174 से अधिक प्रजातियों की पक्षी, 970 से अधिक प्रजातियों की पेड़ पौधे और 180 से अधिक प्रजातियों की औषधीय पौधे पाई जाती है।
इसके अलावा इस पार्क में नीलगाय, हिरण, मृग, सुस्त भालू, तेंदुआ, अजगर और लंगूर जैसे जानवर देखे जा सकते हैं।
पुराना किला : पलामू टाइगर रिजर्व के पास दो किले हैं – पुराना किला और नयाँ किला। इन किलो को मुगल काल की शुरुआत के दौरान चेरो प्रमुखों मेदानी रॉय और प्रताप रॉय द्वारा किया गया था।
पलामू टाइगर रिजर्व के पास औरंगा नदी के किनारे स्थित, ये किले पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सबसे अच्छी जगह है। पुराना किला लगभग 1 किलोमीटर की परिधि में है और सीढ़ीदार मैदान पर खड़ा है। इस किले में एक क्रश वॉल भी है जो निचले और ऊपरी हिस्से को विभाजित करती है। इस किले में प्रहरीदुर्ग के साथ चार गढ़वाली द्वार भी है।
लोध जलप्रपात: लोध जलप्रपात, जिसे बुद्ध घाघ जलप्रपात भी कहा जाता है, बुरहा नदीका प्रवाह हैं। यह निचले घाघरी झड़ने से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 143 मीटर है।
शाहपुर: शाहपुर गांव कोयल नदी के तट पर स्थित है और यह गांव एक सफेद मंदिर और बलुआ पत्थर की इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। इन संरचनाओं का निर्माण 18वीं शताब्दी में पलामू के राजा गोपाल राय ने करवाया था।
देवघर ( बैद्यनाथ धाम ) : देवघर ( बैद्यनाथ धाम ) झारखंड के संथाल परगना के क्षेत्र में सबसे पवित्र अध्यात्मिक स्थान है। बैद्यनाथ धाम के रूप में प्रसिद्ध यह हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
नेतरहाट: नेतरहाट लोकप्रिय रूप से छोटानागपुर की रानी के रूप में जाना जाता है, यह रांची शहर से 154 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। यह 3,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित घने जंगलों से आच्छादित एक प्रसिद्ध पठार है। यह स्थल पर्यटकों के बीच शानदार सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है।
इसके अलावा पर्यटक झारखंड की राजधानी धनबाद और रांची की भ्रमण कर सकते हैं, जहां धनबाद भव्य कोयला खदानों के लिए जाना जाता है और रांची एक भव्य प्राकृतिक सुंदरता और झरनों का अवलोकन के लिए एक आदर्श भूमि है।
पलामू टाइगर रिजर्व सफारी समय तालिका
पलामू टाइगर रिजर्व में जाने के लिए खुल्ला 4WD सफारी वाहनों में दैनिक गेम ड्राइव उपलब्ध है। यह टाइगर रिजर्व साल भर खुला रहता है। सफारी का समय इस प्रकार है :
- सुबह 6:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक
- दोपहर 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
पलामू टाइगर रिजर्व कैसे पहुंचे
पलामू में रेलवे स्टेशन नहीं है, और निकटतम रेलवे स्टेशन धनबाद है जो पलामू से 245 किलोमीटर की दूरी पर है। पलामू टाइगर रिजर्व शहर मुख्यालय डाल्टनगंज से 25 किलोमीटर की दूरी पर पलामू जिले में स्थित है, जो निकटतम रेलवे स्टेशन भी है और भारत के सभी महत्वपूर्ण और शहरों के लिए ट्रेनें प्रदान करती है।
झारखंड की राजधानी, रांची निकटतम हवाई अड्डा है और आप भारत के सभी महत्वपूर्ण गंतव्य के लिए हवाई अड्डा सेवा का उपयोग कर सकते हैं। पलामू टाइगर रिजर्व घूमने का सबसे अच्छा समय जनवरी से जून तक है।
पलामू टाइगर रिजर्व में होटल
पलामू नेशनल पार्क में, आवास के लिए सभी श्रेणियों के कई होटल और लॉज उपलब्ध है। झारखंड की राजधानी रांची से 161 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस क्षेत्र मे आकर्षक पर्यटन क्षेत्र में ठहरने के लिए यह होटल और लॉज आपकी सेवा में हर पल तैयार रहता है।
पलामू टाइगर रिजर्व विजिटर गाइड लाइंस
पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र और अन्य संरक्षित क्षेत्र के ईकोटूरिज्म में प्रवेश करने वाले आगंतुकों को नीचे दिए गए दिशा निर्देश को सख्त पालन करना जरूरी है।
- आगंतुकों को कोविड-19 उपयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। इको टूरिज्म क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए फेस मास्क अनिवार्य लगाना होगा।
- आगंतुकों को चेकिंग के लिए कर्मचारियों को प्रवेश टिकट दिखाना होगा।
- आगंतुकों को प्लास्टिक, पान, गुटखा, शराब आदि जैसी मौजूदा जांच में सहयोग करना होगा और किसी भी प्रकार के संक्रमण फैलाने वाली चीजों से बचना होगा।
- आगंतुकों को सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए पक्षियों, अभयारण्य आदि के विवरण के संबंध में कर्मचारियों के साथ न्यूनतम बातचीत करनी होगी।
- ईकोटूरिज्म क्षेत्र में थूकना सख्त वर्जित है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर किसी भी आग्नेयास्त्र की अनुमति नहीं है।
- पर्यटकों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र के किसी भी वन्य वस्तु को छूना या हटाना सख्त वर्जित है।
- टाइगर रिजर्व के अंदर किसी भी प्रकार के लाउडस्पीकर या म्यूजिक प्रतिबंधित है।
- सभी पर्यटक को को सलाह दी जाती है कि वे टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंदर किसी भी प्रकार के चमकदार रंग के कपड़े ना पहने।
- सभी आगंतुक/ कर्मचारी दल अपना स्टाफ रिपोर्टिंग फार्म जमा करें।
- सभी आगंतुकों को सैनिटाइजर और आयु प्रमाण दस्तावेज ले जाना होगा।
- पर्यटन क्षेत्र में खाद्य सामग्री की की अनुमति नहीं होगी।
- आरोग्य सेतु एप्लीकेशन अनिवार्य है।
- हाथी सफारी अस्थाई रूप से स्थगित कर दी जा सकती है।
- उल्लेखित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ न्यूनतम ₹1000 प्रति व्यक्ति का जुर्माना लगाया जा सकता है।