भारतीय रेलवे में स्मार्ट कोच की विशेषताएं | Indian Railways Smart Coach Facilities

 रेलवे सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Indian Railways Smart Coach Facilities: इससे प्रतिदिन लाखों लोग यात्रा करते हैं। यात्रियों क़े लिए यात्रा में और अधिक आरामदायक बनाने के लिए रेल मंत्रालय ने एक स्मार्ट कोच बनाया है जो कई तरह की सुविधाएं प्रदान करता है।

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 Indian Railways Smart Coach Facilities

 Indian Railways Smart Coach Facilities

 भारत में रेलवे हर किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परिवहन का सबसे अच्छा और आरामदायक माध्यम भी है। भारत में लगभग सभी राज्य क़े सभी क्षेत्रों में रेलवे की सेवाएं पहुंच चुकी है। भारतीय रेलवे एक भारतीय राज्य के स्वामित्व वाला उधम है, जो रेल मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार द्वारा चलाया जाता है। आपको बता दें कि यात्रियों के सफर को और आरामदायक बनाने के लिए रेलवे में स्मार्ट खोज बनाया गया है।

 Indian Railways Smart Coach Facilities

 भारतीय रेलवे ने एक आधुनिक कोच फैक्ट्री, उत्तर प्रदेश के रायबरेली में निर्मित अपने अत्याधुनिक कोचों का अनावरण किया। स्मार्ट कोचों में कई नई विशेषताएं है जो यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करेंगे। रेल मंत्रालय के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के तहत करीब 100 स्मार्ट कोच बनाए जा रहे हैं।

तो चलिए जानते हैं कि यह स्मार्ट कौन में क्या-क्या सुविधाएं हैं मिलती है।

1. इन कोचों को स्मार्ट क़े रूप में जाना जाता है क्योंकि इनमें कुछ आधुनिक सेंसर होते हैं जो डिब्बे से ट्रैक तक की समस्या का पता लगा सकते हैं और एक इंटीग्रेटेड कंप्यूटर सिस्टम की मदद से सभी जानकारी भेज सकते हैं। यह सभी नए स्मार्टकोच स्पेशल डायग्नोस्टिक सिस्टम पर काम करेंगे। इसका मतलब है कि ट्रेन के पहियों पर एक विशेष कंपन सेंसर लगाया गया है, जिससे सेल्फ पावर हार्वेस्टिंग सेंसर कहा जाता है। अगर ट्रैक पर बैयरिंग, पहियें और हार्ड स्पॉट में कोई खराबी होगी तो वे इसका पता लगा सकेंगे। किसी भी समस्या का पता चलने पर उसका अलर्ट तत्काल रेलवे कंट्रोल रूम को भेजा जाएगा।

2. सेंसर यह भी अनुमान लगा सकतें हैं की ट्रेन जिस ट्रैक से गुजर रही है वह सही है या नहीं। अगर कोई कमी होगी तो सेंसर रेलवे को इसकी जानकारी देगा, जिससे होने वाले हादसों को भी रोका जा सकेगा।

 क्या आप जानते हैं कि इन कोचों में कुछ खास कंप्यूटर लगाए गए हैं और इसकी खासियत यह है कि यह एक औद्योगिक ग्रेड का कंप्यूटर है, जिसमें रिमोट सर्वर को रिपोर्ट भेजने के लिए जिओ सिम नेटवर्क दिया गया है। कंपार्टमेंट में लगाए गए यह उपकरण एक प्लेटफार्म पर फंड डायग्नोस्टिक सिस्टम, एयर कंडीशनिंग, डिस्क ब्रेक सिस्टम, फायर डिटेक्शन अलार्म सिस्टम और वाटर लेवल इंडिकेशन समेत तमाम जानकारियां जुटाएगा और रेलवे विभाग से संबंधित अग्रिम सूचना भेजता रहेगा।

3. यह स्मार्ट कोच अगले स्टेशन और उसके स्थान से संबंधित जानकारी भी प्रदान करेगा। कोच को जीएसएम नेटवर्क के साथ यात्री सूचना और कोचिंग कंप्यूटिंग यूनिट ( PICCU ) से भी लैस किया गया है जो मुख्य रूप से कोच रखरखाव और यात्री इंटरफेस के महत्वपूर्ण क्षेत्र की निगरानी करेगा। यह सूचना प्रणाली ट्रेन के अगले स्थान और अगले स्टेशन के बारे में सूचित करेगा इतना ही नहीं जो भी बताएगा कि अगला स्टेशन कब आएगा। दरअसल यह सिस्टम ट्रेन की स्पीड भी दिखाएगा।

4. यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। आपको बता दें कि कोच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे हाउसकीपिंग, टीटी, ट्रेन पैंट्री, संदिग्ध यात्रियों पर नजर रखने में आसानी होगी। 30 दिनों तक सीसीटीवी में रिकॉर्ड रहेगा, जिससे किसी भी मामले को तत्काल सुलझाने में मदद मिलेगी।

5. स्मार्टकोच में आपात स्थिति के लिए टॉकबैक सिस्टम भी लगाया गया है। यानी कोच के यात्री शौचालय के पास लगे इस सिस्टम का बटन दबाकर वह आपात स्थिति में सीधे गार्ड से बात कर सकता है और मदद ले सकता है।

6. इस कोच में ऐसी, डिस्क ब्रेक सिस्टम, फायर डिटेक्शन, अलार्म सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं दी गई है। स्मार्टवॉच में वाईफाई, हॉटस्पॉट, इंफॉर्मेशन सिस्टम भी दिया गया है। यात्री अपने स्मार्टफोन को अपने हॉटस्पॉट से कनेक्ट कर सकेंगे और मनोरंजन कार्यक्रम जैसे मूवी गाने आदि देख सकेंगे।

7. इसमें जलस्तर संकेत भी होते हैं। स्मार्टकोच में सेंसर कंट्रोल रूम को जानकारी भेजेगा कि कोच में पानी खत्म हो गया है या नहीं। पानी का कितना है स्तर बचा है और अगर कोच में पानी कम चल रहा है, तो सेंसर  पहले से अलर्ट भेजेगा ताकि अगले स्टेशन पर कोच में पानी भरा जा सके।

8. पायलट योजना के तहत पहले 100 स्मार्टकोच बनाए जा रहे हैं। रायबरेली मॉडर्न कोच फैक्ट्री के महाप्रबंधक राजेश अग्रवाल के मुताबिक एक स्मार्टकोच बनाने में ₹15,00,000 का खर्च आता है। पहले चरण में ट्रेन में 100  स्मार्टकोच लगाए जाएंगे और अगर सब कुछ ठीक से काम करता है तो भारतीय रेलवे में बड़ी संख्या में सभी ट्रेनों में स्मार्टकोच लगाए जाएंगे।

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 अंत में,

अब आप रेलवे में स्मार्ट कोच के बारे में जान गए होंगे, जो न केवल यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि स्थान भी बताएगा और यह भि बताएगा की ट्रेन किस समय स्टेशन पर पहुंचेगी। जिससे आपकी यात्रा और भि अधिक आरामदायक हो जाएगी।

दोस्तों, मुझे उम्मीद हैं की आज की यह पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा। और आपसे मेरा अनुरोध हैं की यह पोस्ट आपके दोस्तों कें साथ जरूर शेयर करें ताकि जिनको इस कें बारेमे पता न हो उसको भी कुछ जानकारी मिल जाए।

 यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद! आपका दिन शुभ रहे।

FAQ:

भारत में कुल कितने रेल डिब्बे है?

मार्च 2020 तक, भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक में 2,93,077 माल डिब्बे, 76,608 यात्री डिब्बे और 12,729 लोकोमोटिव शामिल हैं।

रेलवे कोच की कीमत क्या है?

जब लागत की बात आती है, तो ट्रेन के सेट से बने एक कोच की लागत लगभग 6.5 करोड रुपए होती है, जबकि एक एलएचबी कोच की उत्पादन लागत 2.5 करोड रुपए होती है। जहां एलएचबी कोचों की एक पूरी रेक की लागत लगभग 40 करोड़ रुपए है, वही ट्रेन के सेट से बनी एक ट्रेन की लागत लगभग 110 करोड़ रुपए होती है।

विस्टाडोम कोच क्या है?

विस्टाडोम एक अत्याधुनिक कोच हैं जिसे यात्रियों को यात्रा की सुविधा और उनके परिवेश को देखने और बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें यात्रियों की सुविधाओं में विस्तृत पारदर्शी खिड़की के शीशे और कांच की छत 180 डिग्रीस पर घूमने योग्य सीटें और पुशबैक कुर्सियां शामिल है।

ट्रेन में 2s कोच क्या होता है?

2S का तात्पर्य ट्रेन की सीटों में सेकंड सीटिंग या सेकंड सीटर से है। सिटे बेंच के रूप में मौजूद होता हैं। इस कोच में यात्रियों के सोने की सुविधा नहीं होती है। यहां पर केवल बैठने की व्यवस्था होती है।

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