गायत्री मंत्र का महत्व | Gayatri mantra in Hindi | गायत्री मंत्र जाप का सटीक तरीका और अर्थ

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नमस्कार दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम ने आपके लिए गायत्री मंत्र के बारे में जानकारी प्रस्तुत कि है। Gayatri Mantra एक ऐसा मंत्र है, जिसे पढ़ने या सुनने मात्र से ही हमारे मन को शांति का अनुभव होने लगता है, मन के साथ ही हमारे तन को भी अच्छा अनुभव मिलता है।

गायत्री मंत्र के जाप मात्र से ही हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों का विनाश हो जाता है, हमारे अन्दर एक नयी ऊर्जा का प्रवाह होता है। हमेशा गायत्री मंत्र का जाप करने से हमारे अन्दर सकारात्मक विचारों के साथ साथ हमारा मानसिक विकास, बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक विकास और स्मरण शक्ति मे बढ़ोतरी होती है।

नियमित रूप से गायत्री मंत्र उच्चारण करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, इसलिए इसे सभी मंत्रों का “महामंत्र” कहा जाता है। गायत्री मंत्र को सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद से लिया गया है, और गायत्री मंत्र का प्रयोग सभी भजनों में भी किया जाता है। गायत्री मंत्र को वेद ग्रन्थ की माता के नाम से भी जाना जाता है यह हिन्दू धर्म का सबसे उत्तम मंत्र है।

Contents

गायत्री मंत्र क्या है (Gayatri mantra in Hindi)

गायत्री मंत्र हिंदी में:

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!

गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ (Gayatri Mantra ka Hindi Arth)

गायत्री मंत्र का अर्थ (Gayatri Mantra Ka Arth) है कि हम सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा का ध्यान करते हैं, परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

प्रभु आप ही इस सृष्टि के निर्माता हो, आप ही हम सब के दुःख हरने वाले हो, हमारे प्राणों के आधार हे परम पिता परमेश्वर, सृष्टि निर्माता मैंने आपका वर्ण कर रहा हूं।

यानि उस प्राण स्वरूप, दुःख नाशक, सुख स्वरुप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरुप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। परमात्मा हमारी बुद्धि को सत्मार्ग पर प्रेरित करें।

हे परम पिता परमेश्वर मैं आपसे यही प्रार्थना करता हूं कि मुझे सदबुद्धि देना ताकि मै हमेशा सही मार्ग पर चलता रहूं।

गायत्री मंत्र का महत्व

हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले गायत्री मंत्र को सबसे पवित्र मंत्र मानते है। माना जाता है कि सभी 4 वेदों का सार इस एक गायत्री मंत्र में समाहित है। शास्त्रों के अनुसार यह मंत्र वेदों का श्रेष्ठ मंत्र है।

गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से मिलकर बना है, इन 24 अक्षरों को देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना गया है। इन 24 अक्षरों को शास्त्रों और वेदों के ज्ञान का आधार भी बताया गया है।

गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक महत्व

गायत्री मंत्र की शुरुआत “ॐ” शब्द से होती है। ॐ शब्द का उच्चारण आपके होठ, जीभ, तालू, गले के पिछले हिस्से और खोपड़ी में कम्पन पैदा करता है। ऐसा माना जाता है कि हार्मोंस के रिलीज की वजह से दिमाग शांत रहता है।

गायत्री मंत्र के उच्चारण से जीभ, होठ, स्वर रज्जु और दिमाग में होने वाली कम्पन की वजह से हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोंस का स्त्राव होता है। इस हार्मोंस की स्त्राव की वजह से इन्सान को खुश रखें वाले हार्मोंस शरीर से बाहर निकलते है। ये हार्मोंस इन्सान में शारीरिक विकारों से लड़ने की क्षमता बनाये रखते है।

मंत्र के उच्चारण के दौरान आपको लम्बी सांसे लेनी पड़ती है जो आपकी सांस लेने की शक्ति को मजबूत करती है, इससे न कि आपका फेफड़ा मजबूत होता है बल्कि सांस लेने से आपका रक्त संचार भी अच्छा बना रहता है।

गायत्री मंत्र के उच्चारण साथ ही शरीर के अगल-अलग हिस्सों में होने वाले कम्पन, दिमाग में होने वाले रक्त संचार को काबू में रखते है। इस मंत्र के उच्चारण दिमाग और शरीर में मौजूद नसों में बेहतर तालमेल स्थापित करने में मदद करता है।

Gayatri Mantra के उच्चारण से दिमाग नियन्त्रण में रहता है। जल्दी गुस्सा आना, आपा खो देना, पढ़ाई में मन ना लगना जैसी समस्याएं भी इस मंत्र के उच्चारण से दूर हो जाती है।

गायत्री मंत्र की उत्पति

ऐसी मान्यता है कि गायत्री मंत्र की उत्पति सृष्टि की शुरुआत में भगवान ब्रम्हा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। फिर ब्रम्हा जी ने इस मंत्र की व्याख्या वेदों के रूप में अपने चारों मुखों से की। ऐसा माना जाता है कि यह गायत्री मंत्र पहले सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही था।

फिर महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तप किया और गायत्री मंत्र को आमजन तक पहुंचाया। ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र के रचियता तपस्वी विश्वामित्र है।

गायत्री मंत्र जाप के नियम

गायत्री मंत्र का जाप करते समय इन बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए:

  • प्रातःकाल में स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ और धुले कपड़े पहनकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • जाप ऐसे स्थान पर करें जो स्थान शांत और एकांत होने के साथ ही पवित्र भी हो।
  • गायत्री मंत्र का जाप चमड़े के बने आसन पर नहीं करना चाहिए इसका जाप ऊनी और रेशमी आसनों पर बैठकर करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप करते समय पालथी मारकर या पद्माशन में बैठकर ही करें।
  • इस मंत्र का जप बिना आहार के करना चाहिए।
  • मंत्र के जप के समय जप की गिनती जरूर करनी चाहिए। क्योंकि बिना गिनती के किया गया जाप “आसुर जाप” कहलाता है।
  • इस मंत्र का जप मन में करना चाहिए, होठ बुल्कुल भी नहीं हिलने चाहिए और मन एकाग्र होना चाहिए।
  • इस मंत्र का जप करते समय आपको बीच में उठना नहीं होता है। यदि किसी कारणवस उठना भी पड़े तो हाथ और मुंह धोकर वापस जप के लिए बैठे।
  • गायत्री मंत्र का जप प्रतिदिन नियमित समय पर ही करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप करने के बाद त्रुटियों के लिए क्षमा-प्रार्थना जरूर करें।
  • इस मंत्र को करने के लिए आपको शुद्ध शाकाहारी होना जरूरी है।

गायत्री मंत्र के फायदे (Benefits of Gayatri Mantra in Hindi)

यदि आप नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करते है तो आपको गायत्री मंत्र के लाभ (Gayatri Mantra ke Fayde) भी जरूर मिलते है जो इस प्रकार है:

  • गायत्री मंत्र के जाप से तन और मन शांत होता है।
  • स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से क्रोध, इर्ष्या, गुस्सा आना जैसी समस्याएं दूर होती है।
  • मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • आपका भाग्य भी बदल जाता है।
  • आप नकारात्मक शक्ति से दूर रहते है।
  • आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  • इसके उच्चारण से बुद्धि का विकास होता है।
  • हमेशा सकारात्मक विचार ही आते है।
  • काई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • इससे आपकी संतान की समस्या भी दूर होती है।
  • गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से चेहरे व त्वचा में चमक आती है और आँखों का तेज बढ़ता है।

गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या (Gayatri Mantra Words)

गायत्री मंत्र में हर शब्द का अर्थ और महत्व अलग-अलग है जो इस प्रकार है (Gayatri Mantra Meaning word by words in Hindi):

ॐ = ईश्वर हमारी सबकी मदद करने वाला हर कण में मौजूद है

भू = पृथ्वी जो सम्पूर्ण जगत के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय है

भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके संग से सभी दुखों का नाश हो जाता है

स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत का धारण करते हैं

तत् = उसी परमात्मा के रूप को हम सभी

सवितु = जो सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है

र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने योग्य अति श्रेष्ठ है

भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है

देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी प्राप्ति सभी करना चाहते हैं

धीमहि = धारण करें

धियो = बुद्धि को

यो = जो देव परमात्मा

नः = हमारी

प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त हों

गायत्री मंत्र का जाप कब करें?

गायत्री मंत्र कब करनी चाहिए:

  • प्रातःकाल में उठते समय अस्ट कर्मों को जीतने के लिए गायत्री मंत्र का 8 बार जाप करना चाहिए।
  • सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए।
  • हमेशा जब आप घर से पहली बार बाहर जाते है तो समृद्धि, सफलता, सिद्धि और उच्च जीवन के लिए इसका उच्चारण करना चाहिए।
  • मन्दिर में प्रवेश के दौरान इसका उच्चारण करना चाहिए।
  • हमेशा रात में सोने से पूर्व एक बार इसका उच्चारण जरूर करना चाहिए।

गायत्री मंत्र विश्व में सबके कल्याण एक स्रोत है। गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसकी उपासना भगवान स्वयं भी करते हैं। इसलिए इसके गुणों का वर्णन करना असंभव है। इस मंत्र के जप से हृदय शुद्ध होता है और मानसिक और शारीरिक विकार दूर होते हैं। शरीर में एक सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।

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गायत्री मंत्र से जुड़े कुछ सवाल

FAQ:

गायत्री मंत्र के लेखक कौन है?

गायत्री मंत्र के लेखक विश्वामित्र को माना जाता है।

गायत्री मंत्र किस वेद से लिया गया है?

गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।

गायत्री मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए?

प्रातःकाल में उठते समय अस्ट कर्मों को जीतने के लिए गायत्री मंत्र का 8 बार जाप करना चाहिए। सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए।

गायत्री मंत्र के कितने अक्षर हैं?

गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से मिलकर बना है, इन 24 अक्षरों को देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना गया है। इन 24 अक्षरों को शास्त्रों और वेदों के ज्ञान का आधार भी बताया गया है।

गायत्री मंत्र का दूसरा नाम क्या है?

तारक मन्त्र

निष्कर्ष:

दोस्तों, उम्मीद करता हूं कि आपको यह पोस्ट (गायत्री मंत्र का महत्व | Gayatri mantra in Hindi | जाप का सटीक तरीका और अर्थ) पसंद आया होगा। अगर आपको यह पोस्ट पसंद है तो अपने दोस्तों के साथ भी जरूर सेयर करें।

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