Apne Gusse ko Kaise Roke: गुस्सा, क्रोध एक एसी चीज हैं, जो आपके पुराने से पुराने संबंधों को भी तोड़ के रख देता हैं। आपकी जीवन सुःख चैन और मन कि शांति छीन लेती हैं। आप के द्वारा कि गई एक बार कि गल्ती कि सजा सारी जिंदगी भी मिलती हैं। कई बार आपकी जुबान से ऐसे शब्द निकल जाती है, जो कभी लौटाए न जाते। आप तो बस दो शब्द बोल जाते हैं, लेकिन वह शब्द आपके सामने वालो के दिल मे ऐसे घाव कर जाते हैं, जो जिंदगी भर कभी ठीक नहीं हो पाते।
गुस्सा, क्रोध, नफ़रत ऐसी चीज हैं, जो आपकी मन कि सारी खुशियाँ छीन लेती हैं। जो आपके अंदर से आपकी शांति छीन लेती हैं।
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गुस्सा क्या होता हैं – Apne Gusse ko Kaise Roke
गुस्सा और क्रोध कों समझने के लिए इस कहानी कों पढ़े: यूनान मे एक व्यक्ति ने नफ़रत के एक तस्वीर बनाया। एक बुढ़ा सा आदमी जिसका मुँह पीला हो गया था , जिसके पैरो मे आग कि ज्वाला था ,और उसके पुरे बदन में सांप लिपटा हुवा था , और वह बुढ़ा सा आदमी अपनी ही नुकली नाख़ून से अपनी ही छाती को चिर रहा था। राह चलते लोगो ने उस चित्र बनाने वाले से पूछा, कि आपने ये नफ़रत के चित्र जो बनाया हैं, इसका अर्थ क्या हैं?
तब उस चित्रकार ने कहा “गुस्सा उस बूढ़े आदमी कि तरह होता हैं । जो अपनी पुरानी यादों से जुडा हुआ होता हैं। ये जो उसकी पैर मे आग कि ज्वाला हैं और उसके बदन पुरे बदन में सांप लिपटी हुई हैं ना, वैसे ही नफ़रत भी हमें जलाती रहती हैं। ऐसे ही नफ़रत भी हमें डंस ती रहती हैं। अपना जहर छोड़ती रहती हैं। और जो ये व्यक्ति अपना नुकीलों नाख़ून से अपनी ही छाती को चिर रहा हैं, ये एक सिख देता हैं, कि जो इंसान नफ़रत से भरा होता हैं, वो सिर्फ अपना ही नुकसान करता हैं।”
वो किसी और को घायल करें ना करें, वो अपनी ही दिल को घायल कर देता हैं। गुस्से के सबसे बड़ी सजा आपको भोग नी पड़ती हैं। आपकी नफ़रत के, आपका गुस्से के सबसे बड़ा दर्द आपको ही झेलना पड़ता हैं।
अपने क्रोध को निकालने का चार रास्ते होते हैं।
1.अपने सामने वाले पे गुस्सा कर दें:
सामने वाले पर गुस्सा कर दें, जो भी उसके लिए मन मे हैं ईमानदारी से कह दे । साईकाटिस्ट कहते हैं, गुस्सा निकलने से थोड़ी देर के लिए आपका गुस्सा शांत होता हैं। आपको हल्का महसूस होता हैं, पर वो क्षणिक मुक्ति हैं। इसका परिणाम बहुत घातक हो सकता हैं। ज़ब आप छोटे-छोटे बातो पे लोगो पे गुस्सा करने लग जाते हैं, तो गुस्सा आपके आदत बनने लग जाते हैं। आपका संस्कार बनने लग जाता हैं। और उसी के वजह से जो भी आपके अपने हैं, वो सब आपसे दूर होने लग जाते हैं। आपको ये चीज समझ मे आने चाहिए कि, गुस्सा किसी को भी अच्छा नहीं लगता हैं।
2.गुस्सा और क्रोध को दबाएं न रखे :
कई लोग गुस्से को अंदर ही अंदर दबा देतें हैं। लेकिन,वो और ज्यादा ख़तरनाक होता हैं। मैंने एक अख़बार मे पढ़ा। एक लड़की कि मन मे हमेंशा अपनी माँ को मारने के ख्याल आता रेहता था। उसकी माँ उसको डाटती थी, हर चीज पर रोक टोक करत थी। पर वो अपनी भावना को अंदर ही अंदर दबा के रखती थी, और उसकी वजह से उसकी एक हाथ मे लकवा मार गया।
ज़ब डॉक्टर को उसने सारी बात बताई, तब डॉक्टर ने कहा, आप अपनी अंदर कि भावना को छोड़ दें। क्योंकी जितना देर ये भावना अंदर रहेगी, आपके शरीर मे और बीमारिया लेके आएगी। और उस दिन वो लड़की ने अपनी माँ के लिए वैसी भावना रखना छोड़ दिया। उसके वाद धीरे धीरे उसका हाथ ठीक होने लगा।
गुस्सा ऐसे ख़तरनाक चीज हैं। एक दूसरी अख़बार मे माने पढ़ा, आवेश में आकर एक माँ ने अपने बच्चे को जलती हुई आग में फेक दिया। ज़ब गुस्से के आवेस चढता हैं आप पे, तब कुछ समझ मे नहीं आता हैं।
” क्या कर रहे हैं?
क्या न करें?
क्या बोलें ?”
सबसे बड़ा दुर्भाग्य आजकल ये हो गया हैं, कि हर कोई ये सोचता हैं, कि गुस्से के बिना काम नहीं होता। आपको एक बात याद रखना चाहिए, हो सकता हैं, आपके गुस्से कि वजह से कोई इंसान एक बार के लिए आपका काम कर दें। लेकिन, दूसरी बार आप वो इंसान को खो देतें हैं। दूसरे इंसान के मन मे आप अपना इज्जत खो देतें हैं। गुस्से से तो वो एक बार काम कर लेगा। लेकिन, प्यार से वो हमेंशा के लिए आपका काम करने के लिए तैयार हो जाएगा। तो जो आपको सोसाइटी सीखा रही हैं, कि गुस्से के बिना कुछ नहीं होता। आप बिना सोचें समझे इस बात पे यकीन न करें।
3.माफ़ देना सीखें
जिस इंसान के अंदर माफ करने कि ताकत होती हैं, उस इंसान को कोई गुस्सा दिला ही नहीं सकता। जीसस क्राइस्ट, के हम इतिहास सुनते हैं। ज़ब उनको शुली पर चढ़ाया जा रहा था, तो भी उनके मन मे किसी के लिए गुस्सा नहीं था। उनके अंतिम शब्द ये था, हें ईश्वर तुम इन्हें माफ कर देना। ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।
एक बार महात्मा बुद्ध के पास एक व्यक्ति आया। और वे महात्मा बुद्ध से कहने लगा, कास : आप जान पाते कि मै आपसे कितना नफ़रत करता हूं। वो व्यक्ति बहुत ही गुस्से से और क्रोध से भरा हुआ था। महात्मा बुद्ध ने उसकी तरफ बहुत प्यार से देखा और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराके केहने लगे, प्यारे कास : तुम जान पाते कि मै तुम से कितना प्रेम करता हूं।
महात्मा बुद्ध कि इस बात को सुन कर उस व्यक्ति कि सारा गुस्सा गायब हो गया। उनके आँखो मे आँशु आ गए। वो उनके चरणों मे गिरकर रोने लगा। कि मेरे मन मे आपके लिए इतना नफ़रत का भाव हैं, लेकिन आपके मन मे मेरे लिए इतना प्रेम के भाव, इतना करुणा के भाव!
दुनियां गुस्से से नहीं, दुनियां प्रेम से चलती हैं। क्योंकि गुस्सा आपकी वास्तविक स्वभाव नहीं हैं। आपका भाव प्रेम हैं। आप चाह के भी सारा दिन गुस्से मे नहीं रेह सकते। पर प्रेम में आप सारा दिन गुजार सकते हैं। प्रेम आपके मन को शांति और सुकून देता है। लेकिन गुस्सा आपके मन को बेचैनी और दर्द देता है। तो प्रेम करना और क्षमा करना गुस्से को शांत करने का इससे बेहतर उपाय कुछ हो ही नहीं सकता।
गुस्सा और क्रोध कों समझने के लिए इस कहानी कों पढ़े
Persia के महान राजा फ्रेडिक सेकेण्ड की जीवन में घटी एक घटना हैं। उनके एक सेवक ने उनके चांदी के एक सुगंध वाली डब्बी से वह सुगंध ले रहे थे। राजा ने उस सेवक को सुगंध लेते हुए देख लिया। राजा ने उस सेवक से पूछा,क्या तुमको वह सुगंध अच्छी लगी ? सेवक समझ गया कि राजा ने मुझे देख लिया है।
वह सर झुका कर खड़ा हो गया। राजा ने फिर पूछा, डरते क्यों हो, तुमको यह सुगंध अच्छी लगी। तो वह सेवक ने जवाब दिया,हां राजा यह सुगंध मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर राजा ने बोला, ऐसा करो यह डब्बी तुम ही रख लो। यह एक छोटी सी डब्बी हम दोनों के लिए पर्याप्त नहीं होगे।
यदि राजा चाहता तो उस सेवक को सजा भी दे सकता था। एक छोटा सा सेवक, मेरा व्यक्तिगत सामान को छेड़ता है। पर राजा ने क्रोध को नहीं, प्रेम को चुना।
हसन के बारे में एक किस्सा बहुत प्रसिद्ध है। एक बार उनकी सेवक की गलती से एक गर्म सूप के प्याला उसके कपड़े में गिर गए। यह देख कर उसके सेवक बहुत डर गया। और उसने झट से डर से कुरान की एक आयत का डालें। “स्वर्ग की हकदार वही है जो अपने गुस्से को काबू में रख सकते हैं।” हसन ने जवाब दिया मैं क्रोधित नहीं हूं। फिर सेवक ने आगे कहा, स्वर्ग उन्हीं का है, जो अपराधी को भी क्षमा कर देता हैं।
हसन बोले मैंने तुम्हे क्षमा किया। फिर उस सेवक ने कुराने आयत के अंतिम शब्द बोले, लेकिन स्वर्ग के सबसे बड़े हक़दार वो हैं, जो बुराई के बदले अच्छाई करते हैं।
ये स्वर्ग क्या हैं, जो इंसान क्षमा करते हैं उसका जीवन स्वर्गमय हो जाता हैं। और जो इंसान क्रोध के अग्नि मे जलता रहता है, उनका जीवन नर्क हो जाता है। गुस्सा करने वाले गुस्सा करने से पहले भी बेचैन रहता है, गुस्सा करने का समय भी बेचैनी को प्राप्त होता है, और गुस्सा करने के बाद में भी दुख को ही पाता हैं।
तो क्षमा और प्रेम, इनमें इतनी ताकत है, आपकी अंदर दुखती हुई हर चीज को ठीक कर सकती है। आजकल लोगों में सहनशक्ति ही नहीं है। थोड़ी थोड़ी बातों में भी बस भटक जाते हैं। और फिर कई लोग कहते हैं कि अगर आज के जमाने में जीना है तो गुस्सा तो करना ही पड़ेगा।
आप एक सच बात बताओ, आप जितनी बातों पर गुस्सा करते हो ना, उन 100 बातों में 90 बातें ऐसी होती है आप गुस्सा भी न करो फिर भी चल जाएगा, फर्क नहीं पड़ेगा। पर यह फर्क जरूर पड़ेगा कि इस वजह से आप अपने जिंदगी में ज्यादा खुश रहेंगे।
जो इंसान गुस्से, क्रोध और नफरत की अग्नि में ज़लता रहता है, उसकी रातों की नींद गायब हो जाती है। उसका दिल का चैन कहीं खो जाता है। वह इंसान चाह कर भी कभी खुश नहीं रह सकता।
4.बिते हुए बातों को भूल जाएं
वही इंसान सबसे ज्यादा गुस्सा करता है, जो बातों को दिल से भुला नहीं पाते हैं । आप कल्पना करें कि अगर आपका माइंड का सिस्टम ऐसा हो, जो भी बात आपको दिल दुखाता है, झूठी बात आपको बुरी लगता है, आपका माइंड हर थोड़ी देर में, उस बात को आप भूला दे। अगर आप हर दुखती हुई बात, और चुभती हुई बात को भूलना सीख जाएंगे तो आपके लिए गुस्सा करना असंभव हो जाएगा।
आप बातों को दिल में याद रखते हैं, इसीलिए उन बातों के कारण आप गुस्सा करते हैं। आपके अंदर धीरे-धीरे वह बातें ज्वालामुखी के रूप लेने लगते हैं। बहुत बड़ा दिल चाहिए, किसी को माफ करने के लिए, बातों को ढूंढने के लिए। उन लोगों को नाम दुनिया याद नहीं रखती। जिन्होंने गुस्से का बदला गुस्से किया हो।
पर दुनिया उन्हें जरूर याद रखता है, जिन्होंने गुस्से का बदला प्रेम से दिया हो। और एक बात आप याद रखें, आप अपने अंदर दुखती हुई बातों का भंडार ना करें। जो बातें आपका चित् का चैन चुरा लेते हैं, जो बातें आपको दुख देती है, दर्द देती है, आपका नींद उड़ा ले डालती है। उन्हें आप अपने अंदर बिल्कुल ना रखें।
जो भी आपके अपने हैं, आप प्रेम से, सहजता से उन बातों को उनके आगे रखिए। क्योंकि कई बार बातें प्रेम से ही कह देने से सारी उलझन सुलझ जाती है। हर बात में जरूरी नहीं है कि हम तलवार उठा कर बैठ जाए। हर बात में जरूरी नहीं है कि हम लड़ाई करने बैठ जाए। अधिकतर वही लोग भयानक गुस्सा करते हैं, जो अपने अंदर बातों को भरते रहते हैं। आप अपने अंदर बातों को बिल्कुल भी ना भरे।
आपको किसी के लिए कोई भी बात लगती है, चुभती है तो प्रेम से सहजता से उसको वह बात कह दे।
एक बार एक व्यक्ति अब्राहम लिंकन के पास आया और बोले, मेरे अंदर क्रोध के बहुत अग्नि जलते हैं। नफरत पनप रही है। वो इंसान के लिए जिसने मेरे साथ बहुत गलत किया है। मुझे धोखा दिया है। मुझे बहुत चोट पहुंचाई है।
अब्राहम लिंकन ने कहा, जो तुम यह सारी बातें जो मुझे बता रहे हो, यह सब एक चिट्ठी में उसके लिए लिखों और वह व्यक्ति घर गया, और उसके मन में जो भी बातें थी,वह एक चिट्ठी में लिख डाली। और वह चिट्ठी लेकर के अब्राहम लिंकन के पास गया। और अब्राहम लिंकन को पूछने लगा, क्या यह चिट्ठी में उस इंसान को पोस्ट कर दो?
अब्राहम लिंकन ने कहा बिल्कुल भी नहीं, पहले यह बताओ तुमको अब कैसा लग रहा है? उस व्यक्ति ने कहा, यह चिट्ठी लिखने के बाद मुझे बहुत हल्का लग रहा है। मन में शांति का अनुभव हो रहा है। तो अब्राहम लिंकन ने उस व्यक्ति से कहा, अब तुम यह चिट्ठी जला दो।
अंत में:
जब हम अपने दिल की बातें बाहर निकाल लेते हैं, तो हमारे मन में अपने आप शांति आ जाते हैं। मनमे बातें भरने से अशांति आता हैं, और बातों को प्रकट करने से मन शांत हो जाता है। बस बात यह है कि, हमारा बातों का प्रकट करने का तरीका सही नहीं होता। जिसकी वजह से हम अपने सारे रिश्तो को खो देते हैं। हम रिश्तो में अपनी इज्जत भी खो देते हैं।
आपने जिंदगी भर गुस्से को ट्राई किया, डॉक्टर को ट्राई किया, आप एक बार ना प्यार को ट्राई करके देखो। एक बार आप माफी को ट्राई करके देखो। देखो कि कैसा लगता है? आप कैसा अनुभव करते हैं? आप अपनी जिंदगी में ऐसे गुणी और अच्छी दोस्त जरूर बनाएं, जिनके आगे आप अपने दिल के सारा हाल कह सके।
और वह आपको सही रास्ता दिखा सके, गुस्से की आग से बचना चाहते हो तो आप जिन्हें प्यार करते हो, जो आपके अपने हैं, उसे अगर आप अपने गुस्से के आग से बचाना चाहते हो, तो आप अपने अंदर वह बात को कभी भी अंदर ना रखें, जो आपको दुख पहुंचाती है। जो आपको चोट पहुंचाती है।
तो बातों को भूल ना सीखे, लोगो से प्रेम करना सीखें, लोगों को माफ करना सीखें, ए चार बातें जो इंसान सिख गया ना, उस इंसान को दुनिया में कोई ताकत नहीं कि उसको गुस्सा दिला सके। कई लोग कहते हैं हम गुस्सा नहीं करते हैं, बल्कि लोग हमें गुस्सा दिला देते हैं। यह इसलिए होता हैं,क्योंकि आप अपने स्वभाव ऐसा बना लिया है। आपने अपना नियंत्रण लोगों को हाथ में दे दिया है।
अब जरूरत है आप अपना नियंत्रण अपने हाथों में रखें। अब जरूरत है आप शांति का मार्ग चुने। अब जरूरत है आप प्रेम का और क्षमा का मार्ग चुने।
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